क्यों भारत में क्रिकेट हॉकी से ज्यादा पॉपुलर है?
दोस्तों भारत में कई तरह के खेल खेले जाते हैं जिसमें क्रिकेट हॉकी, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन इत्यादि पॉपुलर खेल है परंतु इनमें से क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसे देश भर के लोग सबसे ज्यादा खेलना पसंद करते हैं क्या लड़के क्या लड़कियां यह खेल सबके दिलों में अपना घर कर गया है। अब बात करते हैं हॉकी की जो हमारा राष्ट्रीय खेल है और आजकल के युवाओं को तो इस बात का भी पता नहीं होगा कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है क्योंकि वह इसमें रूचि रखते ही नहीं है । आज हम बताएंगे ऐसे 10 कारण की क्यो भारत में क्रिकेट हॉकी से ज्यादा पॉपुलर है।
1. पैसा
आप सबको तो यह पता ही होगा कि क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों को बहुत पैसे मिलते हैं यहां तक कि आईपीएल में खेल रहे खिलाड़ियों को करोड़ों में खरीदा जाता है और इसके विपरीत हॉकी प्लेयर्स को बहुत कम पैसे मिलते हैं । भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली की सैलरी करोड़ों में है और दूसरी यार भारतीय हॉकी टीम की कप्तान की सैलरी लाख रुपया भी नहीं है । यह भी एक कारण है कि अब युवा क्रिकेट में अपना कैरियर बनाने की सोच है जिसमें उन्हें ज्यादा पैसा कमाने का मौका मिले ।
2. खेलने का तरीका
अगर आप 50 युवाओं से उनका पसंदीदा खेल पूछोगे तो उसमें से 45 लोग क्रिकेट में जवाब देंगे क्योंकि उन्हें हॉकी खेलने का तरीका पसंद नहीं है । क्रिकेट और हॉकी दोनों में ही 11-11 खिलाड़ी खेलते हैं, क्रिकेट में एक टीम जहां बॉलिंग करती है और दूसरी टीम के सिर्फ दो ही खिलाड़ी खेलते हैं इसके विपरीत हॉकी में सभी 11 के 11 खिलाड़ियों को मैदान में खेलना पड़ता है इस तरीके की भागदौड़ आजकल के युवाओं को ज्यादा पसंद नहीं है।
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3. खेल मैदानों की कमी
भारत के हर राज्य में क्रिकेट के लिए बहुत सारे मैदान बनी है और पहाड़ी राज्यों में तो लोग खेतों में ही क्रिकेट खेलते हैं जिसमें हॉकी खेलना बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है । हॉकी के लिए बिल्कुल सपाट हरे घास का मैदान चाहिए जिसमें बॉल स्पिन हो सके लेकिन राज्यों में हॉकी के मैदानों की संख्या बहुत कम है जिससे कि आजकल के नौजवान इस खेल के प्रति ज्यादा जागरूक नहीं हैं इसलिए भी यह खेल भारत में पिछड़ा हुआ है।
4. आईपीएल
भारत में आईपीएल जब से शुरू हुआ है तब से लेकर आज तक यह सभी लोगों के दिलों दिमाग पर छाया हुआ है । आईपीएल में टीम के मालिक खिलाड़ियों को करोड़ों रुपए देकर खरीदते हैं यह बात भी आजकल कई नौजवानों के दिमाग में छाई हुई है की क्रिकेट में कैरियर बनाकर करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं। भारत ने आईपीएल की तरह हॉकी के भी लीग मैच करवाए पर वह ज्यादा फेमस नहीं हुआ यहां तक कि टीम मालिकों को स्पॉन्सर मिलने भी मुश्किल हो गए थे और मैच को देखने दर्शक बहुत कम आते थे। सभी फ्रेंचाइजी हॉकी के बजाय आईपीएल को स्पॉन्सर करना चाहती थी और क्रिकेट के स्टेडियम में दर्शकों की भीड़ हमेशा खचाखच भरी रहती है।
5. हॉकी एकेडमी की कमी
भारत में जहां हर तरफ क्रिकेट की एकेडमी खुली हुई है वहीं दूसरी ओर ओके की एकेडमी बहुत कम है और जो एकेडमी है अभी उसमें हॉकी के साथ क्रिकेट की भी ट्रेनिंग देते हैं । जिससे हॉकी खेलने आए खिलाड़ी भी क्रिकेट में रुचि लेने लगते हैं । देश में जहां कई क्रिकेट एकेडमी ऐसे भी है जिसमें हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध है और वहां बचपन से ही बच्चों को पढ़ाते भी है और साथ में क्रिकेट की ट्रेनिंग भी देते हैं जिससे बचपन से ही बच्चों के दिमाग में क्रिकेटर बनने का सपना लग जाता है। इसके विपरीत हॉकी एकेडमी मे खेल के सामान का भी बहुत अभाव है जिससे खिलाड़ी इस खेल से मुंह मोड़ लेते हैं।
6. भारत के लोगों की छोटी हाइट
बहुत से ऐसे लोग भी होगे जो यह सोचते हैं कि हाइट छोटी होने से हॉकी के खेल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता परंतु यह गलत है । क्रिकेट खेलने का तरीका अलग है उसमें किसी की हाइट छोटी भी हो तो भी वह बहुत अच्छी तरीके से क्रिकेट खेल सकता है उदाहरण के लिए आप सचिन तेंदुलकर को ही ले सकते हो परंतु हॉकी में लंबी हाइट वाले खिलाड़ियों की जरूरत होती है क्योंकि इसमें खिलाड़ी एक दूसरे से भिड़ जाते हैं और इस खेल में चोटिल होने के आसार भी ज्यादा होते हैं ।
भारत में जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा के नौजवानों की हाइट सबसे ज्यादा होती है और देखा जाए तो हॉकी में इन राज्यों के खिलाड़ी ही ज्यादा होते हैं।
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7. फिटनेस की कमी
देश के लिए खेल रहे खिलाड़ियों को फिट रहना बहुत जरूरी है । भारतीय क्रिकेट टीम की फिटनेस बहुत अच्छी होती है और हर राज्य के क्रिकेट टीम के पास अपना एक पर्सनल फिटनेस ट्रेनर भी होता है। भारतीय हॉकी टीम की फिटनेस इतनी अच्छी नहीं है क्योंकि उनके पास अच्छे ट्रेनर और फिटनेस का सामान उपलब्ध नहीं है इसलिए खिलाड़ी फिट नहीं रह पाते और जल्दी चोटिल हो जाते हैं।
8. खेल के सामान की कमी
क्रिकेट में जहां सभी खिलाड़ी एक बैट और बॉल से खेल सकते हैं और बैट नहीं भी है तो भी जुराब की बोल और लकड़ी के पट्टे से क्रिकेट खेल सकते हैं वही हॉकी में प्रत्येक खिलाड़ी के पास अपनी हॉकी स्टिक होनी चाहिए जिसे हर एक खिलाड़ी खरीद नहीं पाता यह भी एक कारण है कि लोग हॉकी से ज्यादा क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं।
9. क्रिकेट की तरह मैच ना करवाना
हॉकी के क्रिकेट की तरह मैच नहीं करा जाते क्रिकेट में जहां हर देश के साथ एक सीरीज खेली जाती है या फिर t20 मैच खेला जाता है जिससे यह और भी लोकप्रिय बन चुका है। भारत में क्रिकेट के रणजी ट्रॉफी, एशिया कप, चैंपियंस ट्रॉफी, आईपीएल, t20 वर्ल्ड कप और वर्ल्ड कप जैसे बहुत से अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट होते हैं। इसके विपरीत हॉकी ओलंपिक और हॉकी वर्ल्ड कप और इसके अलावा कुछ मैच खेलते हैं जिससे यह लोगों के बीच ज्यादा पॉपुलर नहीं हुआ ।
10. क्रिकेट की तरह प्रोमोट ना करवाना
जब भी भारत का किसी दूसरे देश के साथ क्रिकेट मैच होता है या फिर कोई सीरीज होती है वर्ल्ड कप होता है उससे पहले टीवी चैनलों पर इसे बढ़ा चढ़ाकर प्रमोट किया जाता है किया जाता है यहां तक कि टीवी पर क्रिकेट के ऐड दिखाया जाते हैं उसमें क्रिकेटर प्रोडक्ट के ऐड करते हैं लोग उन्हें अपने प्रोडक्ट को प्रमोट करने के लिए हायर करते हैं । क्रिकेट के खिलाड़ी भारत में अब इतने प्रसिद्ध हो चुके हैं कि उनका चेहरा देखकर लोग उनका नाम बता सकते हैं इसके उल्टा कर देखा जाए तो भारतीय हॉकी टीम के प्लेयर्स का लोगों को नाम भी मालूम नहीं है और ना ही हॉकी के जब मैच होते हैं तो उन्हें टीवी पर प्रमोट किया जाता है ना ही उनके बैनर लगाए जाते हैं । जिसके कारण लोग उन्हें ज्यादा पहचान नहीं पाते और हॉकी को इससे ज्यादा पहचान नहीं मिल पा रही है ।
भारत में हॉकी को प्रसिद्ध करने के लिए क्या करें
हॉकी को भारत में प्रसिद्ध बनाने के लिए भारतीय खेल मंत्रालय को आगे आना होगा क्योंकि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है और यह भारत में अपनी पहचान खोता जा रहा है और वह दिन दूर नहीं जब क्रिकेट को भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित किया जाएगा। हॉकी को प्रसिद्ध करने के लिए प्रत्येक राज्य में बहुत सी ऐसी एकेडमी की स्थापना करनी पड़ेगी जहां हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध हो और बच्चे को पढ़ाई के साथ-साथ हॉकी की भी कोचिंग मिले। प्रत्येक राज्य के ज्यादा से ज्यादा स्कूल में ऐसे मैदान बनाया जाए जहां पर हॉकी खेल सके और हॉकी में इस्तेमाल होने वाली सभी समान की सुविधा उपलब्ध हो इसके साथ ही अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच कराए जाएं और हॉकी मैच तथा हॉकी के खिलाड़ियों को टीवी पर प्रमोट किया जाए। खिलाड़ियों के सैलरी में बढ़ोतरी करनी चाहिए जिससे कि उनका मनोबल और बढ़ सके और लोग इस फील्ड में भी अपना कैरियर बनाने की सोचे ।
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